नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र
प्रचालन चरण, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र के जीवनकाल का सबसे लंबा समय होता है। वर्तमान में भारत में कुल 6780 MWe क्षमता के 22 रिएक्टर प्रचालित हैं। इनमें से 18 रिएक्टर पीएचडब्ल्यूआर किस्म के तथा 4 साधारण जल रिएक्टर हैं। इनका विवरण नीचे दिया गया है :
क्र. |
संयंत्र का नाम |
व्यवसायिक प्रचालन की तिथि |
स्थान |
कुल शक्ति (MWe) |
प्रकार |
---|---|---|---|---|---|
1. |
तारापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (टीएपीएस-1) |
अक्टूबर- 1969 |
बोइसर, महाराष्ट्र |
160 |
बीडब्ल्यूआर |
2. |
टीएपीएस-2 |
अक्टूबर- 1969 |
बोइसर, महाराष्ट्र |
160 |
बीडब्ल्यूआर |
3. |
राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र (आरएपीएस-1) |
दिसंबर-1973 |
कोटा, राजस्थान |
100 |
पीएचडब्ल्यूआर |
4. |
आरएपीएस-2 |
अप्रैल-1981 |
कोटा, राजस्थान |
200 |
पीएचडब्ल्यूआर |
5. |
मद्रास परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एमएपीएस-1) |
जनवरी-1984 |
कलपक्कम, तमिलनाडु |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
6. |
एमएपीएस-2 |
मार्च-1986 |
कलपक्कम, तमिलनाडु |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
7. |
नरोरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनएपीएस-1) |
जनवरी-1991 |
नरोरा, उत्तरप्रदेश |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
8. |
एनएपीएस-2 |
जुलाई-1992 |
नरोरा, उत्तरप्रदेश |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
9. |
काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र (केएपीएस-1) |
मई-1993 |
तापी, गुजरात |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
10. |
केएपीएस-2 |
सितंबर-1995 |
तापी, गुजरात |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
11. |
कैगा जनन स्टेशन (केजीएस-1) |
नवंबर-2000 |
कैगा, कर्नाटक |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
12. |
केजीएस-2 |
मार्च-2000 |
कैगा, कर्नाटक |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
13. |
आरएपीएस-3 |
जून-2000 |
कोटा, राजस्थान |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
14. |
आरएपीएस-4 |
दिसंबर-2000 |
कोटा, राजस्थान |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
15. |
केजीएस-3 |
मई-2007 |
कैगा, कर्नाटक |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
16. |
केजीस-4 |
जनवरी-2011 |
कैगा, कर्नाटक |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
17. |
टीएपीएस-3 |
अगस्त-2006 |
बोइसर, महाराष्ट्र |
540 |
पीएचडब्ल्यूआर |
18. |
टीएपीएस-4 |
सितंबर-2005 |
बोइसर, महाराष्ट्र |
540 |
पीएचडब्ल्यूआर |
19. |
आरएपीएस-5 |
फरवरी-2010 |
कोटा, राजस्थान |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
20. |
आरएपीएस-6 |
मार्च-2010 |
कोटा, राजस्थान |
220 |
पीएचडब्ल्यूआर |
21. |
कुडनकुलम नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र (केकेएनपीएस-1) |
दिसंबर-2014 |
कुडनकुलम, तमिलनाडु |
1000 |
पीडब्ल्यूआर |
22. |
केकेएनपीएस-2 |
मार्च-2017 |
कुडनकुलम, तमिलनाडु |
1000 |
पीडब्ल्यूआर |
भारत में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों की डिज़ाइन, निर्माण, कमीशनन एवं प्रचालन कठोर संरक्षा आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है जिसमें संरक्षा की पर्याप्त गुंजायश सुनिश्चित की जाती है। संयंत्रों की डिज़ाइन में ‘गहन-संरक्षा’, ‘अतिरिक्तता’ तथा ‘विविधता’ के सिद्धांत अंतर्निहित हैं तथा प्रत्येक गतिविधि में सुनिश्चित किये जाते हैं। इनमें संयंत्र को संरक्षित रूप से बंद करने के लिये विफलता-संरक्षित शमन तंत्र, बैक-अप एवं बैक-अप के बैक-अप सहित शीतलन तंत्र, किसी भी रेडियोसक्रियता के विमोचन को परिरूद्ध रखने के लिये सुदृढ़ संरोधक तंत्र आदि शामिल है। इन सब के बावजूद, अत्यधिक सावधानी के रूप में आपाती तैयारी व अनुक्रिया योजनाओं का विकास आवश्यक है। इन योजनाओं का नियमित परीक्षण व संशोधन किया जाता है।
नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों में विकिरण आपातकाल को प्रभावित क्षेत्र के आधार पर संयंत्र, स्थलीय व अपस्थलीय आपातकाल में बांटा जाता है। एईआरबी, संयंत्र व स्थलीय आपाती योजनाओं की समीक्षा व अनुमोदन करता है जबकि अपस्थलीय आपाती योजना की समीक्षा एईआरबी द्वारा परंतु उसका अनुमोदन जिला अधिकारियों/स्थानीय प्रशासन द्वारा किया जाता है। इन योजनाओं के परीक्षण के लिये निश्चित आवृत्ति पर अभ्यास किये जाते हैं। ये अभ्यास आपातकाल के दौरान कार्यवाही करने वाली सभी संबद्ध एजेंसियों को शामिल करके किये जाते हैं। एईआरबी इन अभ्यासों में प्रेक्षक के रूप में भाग लेता है तथा आवश्यकता पड़ने पर संशोधन व सुधारक उपायों की संस्तुति करता है। साथ ही नियमित निरीक्षणों के दौरान भी आपाती तैयारी पहलुओं की जांच की जाती है। .
किसी आपातकाल के दौरान एईआरबी को स्थिति की निरंतर सूचना प्राप्त होती रहती है तथा वह स्थिति की समीक्षा व आकलन करता है। आवश्यक होने पर निम्नीकरण प्रयासों में और सुधार के लिये एईआरबी अनुक्रिया एजेंसियों को परामर्श का निर्देश देता है। एईआरबी आपातस्थिति के बारे में जनता को भी सूचित करता रहता है। एईआरबी, आपातकाल तैयारी योजना बनाने के लिये नियामक आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करता है जिसमें आपातकाल की घोषणा का मानदंड आपातकाल के प्रहस्तन के लिये न्यूनतम बुनियादी ढांचा तथा विभिन्न एजेंसियों की भूमिका एवं उत्तरदायित्य आदि शामिल हैं।