The mission of the AERB is to ensure the use of ionising radiation and nuclear energy in India does not cause undue risk to the health of people and the environment.

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कूप लागिंग सुविधायें

कूप लागिंग स्रोतों के प्रापण/प्रचालन/निपटान से संबंधित सभी आवेदन e-LORA पोर्टल के माध्‍यम से आन-लाइन करना आवश्‍यक है।

तेल कूप लागिंग सुविधाओं के लिये e-LORA दिशानिर्देश


ल कूप लागिंग में प्रयुक्‍त रेडियोसक्रिय स्रोत

कूप लागिंग एक ऐसी आकलन तकनीक है जो खनिज संसाधनों, विशेषत: तेल, गैस व कोयले के अन्‍वेषण के लिये सतह के नीचे भूगर्भीय संरचनाकी विस्‍तृत जानकारी प्रदान करती है। यह तकनीक बोर छिद्र द्वारा वेधित भूगर्भीय संरचना का विस्‍तृत रिकार्ड (कूप लाग) देती है और भौतिक मापनों के लिये आवश्‍यकतानुसार रेडियोसक्रिय स्रोतो का प्रयोग करती है। ये लाग खोदे गये नमूनों के दृष्‍य निरीक्षण (भूगर्भीय लाग) या बोरछिद्र में भेजे गये उपकरणों द्वारा किये गये भौतिक मापनों (भू-भौतिकी लाग) पर आधारित होते हैं। कूप लागिंग किसी भी चरण – ड्रिलिंग, समाप्ति, उत्‍पादन व छोड़ देने के दौरान की जा सकती है। कूप लागिंग तेल व गैस, भूजल, खनिज व भूतापीय अन्‍वेषण के लिये तथा पर्यावरण व भूतकनीकी अध्‍ययन के लिये बनाये गये बोरछिद्रों में की जाती है।

Image courtesy: Google Images

कूप लागिंग प्रक्रिया में तेल अन्‍वेषण के लिये उपयुक्‍त लागिंग उपकरण में सीलबंद रेडियोसक्रिय स्रोतों व सुवाह्य छोटे न्‍यूट्रान जनित्रों का प्रयोग होता है। संसूचन के लिये न्‍यूट्रान-न्‍यूट्रान लागिेंग (n-n), न्‍यूट्रान-गामा (n-) लागिंग, गामा-गामा लागिंग (-) आदि तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इस कार्य के लिये Cs-137, Co-60, Am-241, AM241-Be तथा Pu239-Be आदि गामा व न्‍यूट्रान स्रोतों का प्रयोग होता है।

नियामक आवश्‍यकतायें

कूप-लागिंग स्रोतों के लिये नियामक आवश्‍यकतायें न्‍यूक्लियानिक गेजों के समान ही हैं। इन्‍हें न्‍यूक्लियानिक गेज वाले पृष्‍ठ पर देखा जा सकता है।

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