एईआरबी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में आयनीकारक विकिरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को किसी भी प्रकार का अवांछित जोखिम न हो ।

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अकादमिक आउटरीच

एसआरआई ने सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रमों के माध्यम से कई संस्थानों के साथ अकादमिक संबंध बनाए रखे। पारस्परिक लाभ की परियोजनाओं के लिए अन्ना विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए । पऊवि के भीतर और बाहर व्यापक भागीदारी के साथ थीम मीटिंग, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की गईं । प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी में व्याख्यान और आमंत्रित वार्ताएं आयोजित की गईं। नए अनुसंधान विचार जानने तथा प्रख्यात वैज्ञानिकों को आमंत्रित करने के लिए समय समय पर संगोष्ठियों का आयोजन किया गया  जिससे चुनौतिपूर्ण गतिविधियों को प्रारंभ करने के लिए प्रोत्साहन मिला । संरक्षा के संबंध में महत्वपूर्ण प्रयोगों हेतु इंजीनियरिंग हॉल का निर्माण प्रारंभ करते हुए दिनांक 28 अगस्त 2014 को इसकी नींव रखी गई ।

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद ने अनुसंधान सहयोग के लिए अन्ना विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए ।

परमाणु सुविधाओं के नियामक पहलुओं से संबंधित अनुसंधान के पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों में सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देने और अकादमिक संस्थानों के साथ सहयोगी अनुसंधान को बढ़ाने के लिए, परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद (एईआरबी) ने अन्ना विश्वविद्यालय (एयू),चेन्नई के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।  समझौता ज्ञापन पर सचिव, एईआरबी और रजिस्ट्रार, एयू द्वारा 21 मई, 2013 को चेन्नई में अध्यक्ष, एईआरबी और उप-कुलपति, एयू की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए।


(बाएँ से दाएँ बैठे हुए) श्री आर.भट्टाचार्य, सचिव, एईआरबी, श्री एस.एस.बजाज, अध्यक्ष, एईआरबी, प्रो.पी.कलीराज, कुलपति, एयू तथा डॉ.एस.सिवानेसन, रजिस्ट्रार, एयू, एयू के वरिष्ठ कार्मिक तथा संरक्षा अनुसंधान संस्थान, कल्पाक्कम के साथ एमओयू

 

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य है नाभिकीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगत एवं चुनौतीपूर्ण अनुसंधान की गति में तेजी लाने के लिए एईआरबी तथा एयू के बीच संयुक्त गतिविधियों को प्रोत्साहित करना। इस पारस्परिक समन्वय से समयबद्ध अनुप्रयुक्त अनुसंधान, उन्नत व्यावसायिक कौशल और छात्रों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में शोध करने के अवसर जैसे लाभ मिल सकेंगे ।

सहयोगी अनुसंधान के सामान्य क्षेत्रों में, रिलायबिलिटी इंजीनियरिंग, भौतिकी, पर्यावरण और भौगोलिक सूचना विज्ञान, रिमोट सेंसिंग, थर्मल हाइड्रोलिक्स, स्ट्रक्चरल मैकेनिक्स, आपदा निवारण और प्रबंधन आदि  शामिल हैं परंतु ये क्षेत्र सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं। समझौता ज्ञापन के तहत बुनियादी अवसंरचनातमक संसाधन साझा किए जा सकते हैं, विद्वत गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है तथा एयू के अनुसंधानकर्ताओं / डॉक्टोरल विद्यार्थियों को अवसर प्राप्त होते हैं जिससे संरक्षा अनुसंधान संस्थान, कलापक्कम स्थित एईआरबी के नियामक अनुसंधान शाखा, में अनुसंधान गतिविधियों को बल मिलता है। समझौता ज्ञापन शैक्षिक अंतःक्रियाओं को बढ़ाएगा जो कि विनियामक अनुसंधान गतिविधियों को सफल बनाने के लिए अकादमिक एवं संस्थानात्मक सहयोग को निकट लाने के दृष्टिकोण को विस्तारित करेगा ।

अनुसंधान अध्येता

एसआरआई-एईआरबी रिएक्टर भौतिक विज्ञान, संरचनात्मक विश्लेषण, पीएसए और विश्वसनीयता, कम्प्यूटेशनल तरल पदार्थ गतिशीलता, अग्नि मॉडलिंग, भूजल प्रवाह और रेडियोन्यूक्लियाइड प्रवासन आदि के क्षेत्र में विज्ञान और इंजीनियरिंग में छात्रों और अनुसंधान विद्वानों को परियोजना का काम और मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है। इस अवधि के दौरान, एसआरआई अधिकारियों ने निम्नलिखित परियोजनाओं पर शोध विद्वानों और छात्रों को निर्देशित किया है:

  • निम्नलिखित परियोजना कार्यों के लिए, आईजीसीएआर में बीएआरसी प्रशिक्षण विद्यालय से प्रशिक्षु अधिकारियों को मार्गदर्शन दिया गया;
    • बीडब्लूआर मार्क-आई कंटेनमेंट में हाइड्रोजन वितरण का गणितीय अध्ययन
    • पंप स्टार्ट अप के दौरान हायड्रॉलिक ट्रांजिएण्ट तथा रुद्धोष्म अवरोद्ध लूप सिस्टम में कोस्ट डाउन का गणितीय अध्ययन
    • प्रगत ऑक्सीकरण पद्धतियों का प्रयोग करते हुए जलीय धाराओं में हाइड्राज़ीन का क्षरण
    • प्रगत ऑक्सीकारक प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हुए टीडीपी के क्षरित उत्पादों का शोधन
    • पीएफबीआर में सीएसआर का अनियंत्रित निकास
    • निश्चयात्मक पद्धति द्वारा महत्वपूर्ण प्रयोगात्मक मानकों का विश्लेषण
    • किसी थर्मल रिएक्टर में लोड ट्रांजिएण्ट के कारण प्रतिक्रिया हेतु सीनेरिक मॉडल के अनुप्रयोग

 निम्नलिखित लघु शोध परियोजनाओं के लिए कालीकट विश्वविद्यालय, केरल के एम.एस.सी.(भौतिकी) के विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया गया;

    • उच्च शुद्ध जर्मेनियम डिटेक्टर का क्षमता अंशाकन
    • सोडियम आयोडाइड सिंटीलेशन डिटेक्टर का क्षमता अंशांकन
  • "परमाणु प्रणालियों और सुविधाओं से जुड़े जोखिम का आकलन करने के लिए पीएसए पद्धति का विकास और अनुप्रयोग" पर पीएचडी शोध कार्य हेतु एचबीएनआई रिसर्च स्कॉलर, आईजीसीएआर को विशेषज्ञ मार्गदर्शन और तकनीकी सलाह प्रदान की गई थी।

 

विजिटर काउण्ट: 4764431

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कार्यालय का पता

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद, नियामक भवन अणुशक्तिनगर,, मुंबई 400094, भारत,

कार्य का समय
9:15 से 17:45 – सोमवार से शुक्रवार

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